ट्विन टावर की कहानी नोएडा के सेक्टर 93 में बनी सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के 40 मंजिला ट्विन टावर को आज ध्वस्त करने में 12 सेकंड का समय लगा और ध्वस्त करने में 20 करोड़ का खर्चा आएगा।23 नवंबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर 93 ए स्थित प्लांट नंबर चार को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। इसमें भूतल सहित नौ मंजिल तक निर्माण की अनुमति दी गई। 14 टावर बनाए जाने थे।
29 दिसंबर 2006 नोएडा अथॉरिटी ने संशोधन करते हुए निर्माण नौ मंजिल से बढ़ाकर 11 मंजिल तक बनाने की अनुमति दे दी, साथ ही टावर की संख्या 14 से बढ़ाकर 16 तक कर दी गई। टावर की संख्या बढ़ाकर 17 करने का नक्शा नोएडा अथॉरिटी ने पास कर दिया।
2 मार्च 2012 में संशोधन करते हुए टावर को 11 मंजिल से बढ़ाकर 40 मंजिल तक बनाने की अनुमति दे दी, इसकी हाइट 121 मीटर थी, दोनों टावरों के बीच की दूरी 16 मीटर होनी चाहिए थी जिसे नौ मीटर रखा गया
सुपरटेक ने एक टावर में 32 मंजिल और दूसरे में 26 मंजिल तक फ्लैट बना दिए, इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया
2009 से लड़ाई हुई शुरू
ट्विन टावर में फ्लैट खरीदने वालों ने अपनी सोसायटी बनाई और सुपरटेक के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी।
2014 में हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को तोड़ने के आदेश दिए, नोएडा अथॉरिटी के 24 अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया
सुप्रीम कोर्ट में सात साल चला केस
हाईकोर्ट द्वारा ट्विन टावर टावर को तोड़ने के आदेश के खिलाफ सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट चला गया, 31 अगस्त 2021 को सुप्रीमकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और तीन महीने के अंदर ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया, तैयारी पूरी न होने से ध्वस्त करने की तिथि बढ़ा दी
सुपरटेक के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने वालों में आगरा के अधिवक्ता आदित्य पारौलिया भी हैं, उन्होंने सुपरटेक के खिलाफ रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ी। मूल रूप से हीराबाग दयालबाग निवासी अधिवक्ता आदित्य पारौलिया पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ. शरद गुप्ता के भतीजे हैं और सेंट पीटर्स के पूर्व छात्र हैं।
ट्विन टावर की तरह ही सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के प्रतिबंधित 100 मीटर में तीन मंजिला ताजगंज थाने का निर्माण होने पर ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। 1996 में तीन मंजिला बने थाने को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया था।